India In Chaos

लेखक की कलम से


किसी भी स्त्रोत से बहुत कम सहायता या समर्थन मिलने के बावजूद, यह किताब सभी तरह की प्रतिकूल परिस्थितियों मंे सामने आ रही है, हालांकि इसके साथ कई तरह की अस्वीकृतियाँ व समस्याएँ जुड़ी रही हैं। लेकिन जो कुछ मैंने ब्यान दिया है वह भारत की अज्ञानी, कमज़ोर और निरीह जनता के लगातार उत्पीड़न की विकट स्थिति को प्रदर्शित करता है और यह हमारे दुष्ट संरक्षकों (विधान-सभा एवं कार्यपालिका) पर विद्वान न्यायपालिका का पर्याप्त अंकुश न होने के कारण हमारे स्वार्थी शासनतंत्र के निरर्थक होने की व्याख्या करता है। इस पुस्तक को पृष्ठ-दर-पृष्ठ पढ़ने के साथ-साथ पाठकों को इस कठोर वास्तविकता को स्वीकार करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

इस किताब के माध्यम से मेरा प्रयास इस सच्चाई को अपने देश के लोगों व अपने सम्बंधित सरंक्षकों तक पहुंचाना है ताकि विद्वान न्यायपालिका की मदद से ज़िम्मेदार और जवाबदेह तंत्र की स्थापना की जा सके जो पहले हमारी लम्बे समय से वंचित व पीड़ित जनता को ‘आज़ादी व गरिमा’ प्रदान कर सके और उसके बाद राष्ट्र की असीमित प्रगति व समृद्धि के लिए देश में परिवर्तन ला सके।

समृद्ध राष्ट्र के निर्माण व जनता को प्रसन्न एवं गर्वपूर्ण बनाने के लिए, मैंने इस पुस्तक के भाग-3 में आवश्यक उपाय व दिशा-निर्देश उपलब्ध कराए हैं। इस योजनाओं व अध्याय 8.3 में दिए गए सिटी सेंटर्स की अवधारणा अपनाने से न केवल हम अपने नागरिकों को स्वाभाविक रूप से स्वतंत्रता व गरिमा प्रदान कर पाएंगे बल्कि अपनी मौजूदा व भावी पीढ़ियों के लिए, केवल 15-20 वर्षों में अपने देश को सर्वाधिक समृद्ध व शक्तिशाली राष्ट्रों की श्रेणी से भी ला सकेंगे।

यहाँ प्रस्तुत गहन अनुसंधान कार्य के माध्यम से मैंने संविधान की संरक्षक व हम पर शासन करने वाले संरक्षकों (विधान-सभा व कार्यपालिका) पर तीसरे नेत्र के रूप में निगरानी करने वाली विद्वान न्यायपालिका के हाथों में ज़िम्मेदार व जवाबदेह तंत्र की स्थापना और भारत के नागरिकों को अपने स्वपनों को सच करने का अवसर देने का निवेदन किया है।

यह पुस्तक एक चिरस्थाई रोगी का निदान है। इसके परीक्षण इसे केवल उन रूग्ण अंगों की जानकारी देते हैं जिसका उपचार किए जाने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य अंगों की चर्चा बहुत कम की गई है! विभिन्न समय अवधियों सरकारों के कार्यप्रदर्शन की तुलना के लिए 5-10 वर्ष पुराने आंकड़ों का प्रयोग किया गया है और इस तथ्य की पुष्टि करने का प्रयास किया गया है कि खराब शासनतंत्र के कारण भारत में लम्बे समय से पतन हो रहा है।

जिज्ञासु पाठकों के लिए, यह पुस्तक अधिकांश सामाजिक-आर्थिक व सामाजिक- वैधानिक समस्याओं के उत्तर उपलब्ध कराएगी।

के.सी. अग्रवाल